श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 5: मैत्रेय से विदुर की वार्ता  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  3.5.35 
 
 
अनिलेनान्वितं ज्योतिर्विकुर्वत्परवीक्षितम् ।
आधत्ताम्भो रसमयं कालमायांशयोगत: ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  जब वायुमंडल में बिजली चमकने लगी और ईश्वर ने उस पर ध्यान दिया, तभी अनंत समय और बाहरी ऊर्जा के मेल से पानी और स्वाद का सृजन हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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