वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 5: मैत्रेय से विदुर की वार्ता
»
श्लोक 32
श्लोक
3.5.32
तामसो भूतसूक्ष्मादिर्यत: खं लिङ्गमात्मन: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
आकाश ध्वनि का परिणाम है और ध्वनि अहंकारात्मक अज्ञान का रूपान्तरण है। दूसरे शब्दों में आकाश सर्वोच्च आत्मा का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.