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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 5: मैत्रेय से विदुर की वार्ता
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श्लोक 22
श्लोक
3.5.22
अथ ते भगवल्लीला योगमायोरुबृंहिता: ।
विश्वस्थित्युद्भवान्तार्था वर्णयाम्यनुपूर्वश: ॥ २२ ॥
अनुवाद
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मैं भगवान विष्णु की लीलाओं का वर्णन करूँगा जिससे वे क्रमश: ब्रह्मांड की सृष्टि, पालन और विनाश के लिए अपनी दिव्य शक्ति का विस्तार करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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