श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 5: मैत्रेय से विदुर की वार्ता  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.5.16 
 
 
स विश्वजन्मस्थितिसंयमार्थे
कृतावतार: प्रगृहीतशक्ति: ।
चकार कर्माण्यतिपूरुषाणि
यानीश्वर: कीर्तय तानि मह्यम् ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  कृपया उन परम नियन्ता भगवान श्री हरि विष्णु के अलौकिक और दिव्य कार्यों का गुणगान करें जिन्होंने सभी शक्तियों से युक्त होकर सृष्टि के निर्माण और पालन के लिए अवतार लेने का दायित्व स्वीकार किया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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