श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 4: विदुर का मैत्रेय के पास जाना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.4.7 
 
 
श्यामावदातं विरजं प्रशान्तारुणलोचनम् ।
दोर्भिश्चतुर्भिर्विदितं पीतकौशाम्बरेण च ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान का शरीर श्यामल है, परन्तु वो सच्चिदानन्दमय है और अत्यन्त सुंदर है। उनकी आँखें सर्वदा शांत रहती हैं और प्रातःकाल उगते सूर्य की तरह लाल हैं। मैं उनके चार हाथों, विविध प्रतिकात्मक निरूपणों और पीले रेशमी वस्त्रों से उन्हें तुरंत भगवान के रूप में पहचान गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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