श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 4: विदुर का मैत्रेय के पास जाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.4.5 
 
 
तथापि तदभिप्रेतं जानन्नहमरिन्दम ।
पृष्ठतोऽन्वगमं भर्तु: पादविश्लेषणाक्षम: ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे अरिंदम (विदुर), यद्यपि मुझे उनकी (वंश का विनाश करने की) इच्छा का ज्ञान था, फिर भी मैं उनका अनुसरण करता रहा, क्योंकि अपने स्वामी के चरणकमलों के बिछोह को सह पाना मेरे लिए संभव नहीं था।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.