तथापि तदभिप्रेतं जानन्नहमरिन्दम ।
पृष्ठतोऽन्वगमं भर्तु: पादविश्लेषणाक्षम: ॥ ५ ॥
अनुवाद
हे अरिंदम (विदुर), यद्यपि मुझे उनकी (वंश का विनाश करने की) इच्छा का ज्ञान था, फिर भी मैं उनका अनुसरण करता रहा, क्योंकि अपने स्वामी के चरणकमलों के बिछोह को सह पाना मेरे लिए संभव नहीं था।