श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.31.5 
 
 
मातुर्जग्धान्नपानाद्यैरेधद्धातुरसम्मते ।
शेते विण्मूत्रयोर्गर्ते स जन्तुर्जन्तुसम्भवे ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  माँ के द्वारा ग्रहण किए गए खाने और पानी से पोषण पाकर भ्रूण बढ़ता है और मल-मूत्र के गंदे स्थान, जो सभी प्रकार के कीटाणुओं को पनपने का स्थान है, में पलता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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