श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.31.37 
 
 
तत्सृष्टसृष्टसृष्टेषु को न्वखण्डितधी: पुमान् ।
ऋषिं नारायणमृते योषिन्मय्येह मायया ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मा द्वारा उत्पन्न मनुष्यों, देवताओं और जानवरों के बीच, मुनि नारायण को छोड़कर कोई भी स्त्री के मोह से दूर नहीं है, जिस रूप में माया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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