श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  3.31.33 
 
 
सत्यं शौचं दया मौनं बुद्धि: श्रीर्ह्रीर्यश: क्षमा ।
शमो दमो भगश्चेति यत्सङ्गाद्याति सङ्‍क्षयम् ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  वह सत्यता, स्वच्छता, दया, गंभीरता, आध्यात्मिक बुद्धि, लज्जा, संयम, यश, क्षमा, मन पर नियंत्रण, इन्द्रियों पर नियंत्रण, सौभाग्य और अन्य ऐसे ही अवसरों से वंचित हो जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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