श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.31.26 
 
 
शायितोऽशुचिपर्यङ्के जन्तु: स्वेदज-दूषिते ।
नेश: कण्डूयनेऽङ्गानामासनोत्थानचेष्टने ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  पसीने और कीटाणुओं से भरे मैले-कुचैले बिस्तर पर लेटा हुआ मासूम बच्चा खुजली से राहत पाने के लिए अपने शरीर को खुजला भी नहीं पाता; बैठने, खड़े होने या चलने की बात तो दूर है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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