मैं, शुद्ध आत्मा, अपनी गतिविधियों से बँधा हुआ, माया की व्यवस्था से इस समय अपनी माता के गर्भ में पड़ा हुआ हूँ। मैं उन भगवान् को नमन करता हूँ जो यहाँ मेरे साथ हैं, किन्तु जो अप्रभावित हैं और अपरिवर्तनशील हैं। वे अनंत हैं, किन्तु संतप्त हृदय में देखे जाते हैं। मैं उन्हें सादर नमन करता हूँ।