श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.31.11 
 
 
नाथमान ऋषिर्भीत: सप्तवध्रि: कृताञ्जलि: ।
स्तुवीत तं विक्लवया वाचा येनोदरेऽर्पित: ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  इस भयंकर परिस्थिति में, सात परतों वाली भौतिक पदार्थों द्वारा बंधा हुआ जीव हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करता है, जिन्होंने उसे इस दशा में रखा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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