श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 30: भगवान् कपिल द्वारा विपरीत कर्मों का वर्णन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.30.1 
 
 
कपिल उवाच
तस्यैतस्य जनो नूनं नायं वेदोरुविक्रमम् ।
काल्यमानोऽपि बलिनो वायोरिव घनावलि: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा: जिस प्रकार बादलों का समूह हवा के शक्तिशाली प्रभाव से अनजान रहता है, उसी प्रकार भौतिक चेतना में उलझे हुए व्यक्ति को समय की उस महान शक्ति के बारे में जानकारी नहीं होती है, जिसके द्वारा उसे ले जाया जा रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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