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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 29: भगवान् कपिल द्वारा भक्ति की व्याख्या
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श्लोक 36
श्लोक
3.29.36
एतद्भगवतो रूपं ब्रह्मण: परमात्मन: ।
परं प्रधानं पुरुषं दैवं कर्मविचेष्टितम् ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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वह पुरुष जिससे हर जीव को मिलना है, वो भगवान का शाश्वत रूप है, जिसे ब्रह्म और परमात्मा कहा जाता है। वह सबसे प्रधान दिव्य पुरुष हैं और उनका हर काम अध्यात्मिक होता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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