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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 29: भगवान् कपिल द्वारा भक्ति की व्याख्या
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श्लोक 26
श्लोक
3.29.26
आत्मनश्च परस्यापि य: करोत्यन्तरोदरम् ।
तस्य भिन्नदृशो मृत्युर्विदधे भयमुल्बणम् ॥ २६ ॥
अनुवाद
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जो भी अपने और अन्य जीवों में भिन्न दृष्टिकोण के कारण जरा भी भेदभाव करता है उसके लिए मैं मृत्यु की प्रज्ज्वलित अग्नि के सदृश भयानक कारण बनता हूँ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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