देवहूतिरुवाच
लक्षणं महदादीनां प्रकृते: पुरुषस्य च ।
स्वरूपं लक्ष्यतेऽमीषां येन तत्पारमार्थिकम् ॥ १ ॥
यथा साङ्ख्येषु कथितं यन्मूलं तत्प्रचक्षते ।
भक्तियोगस्य मे मार्गं ब्रूहि विस्तरश: प्रभो ॥ २ ॥
अनुवाद
देवहूति ने उत्सुकता से पूछा: हे प्रभु, आपने सांख्य दर्शन के अनुसार सम्पूर्ण भौतिक प्रकृति और आत्मा के गुणों का बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से पहले ही वर्णन कर दिया है। अब मैं आपसे प्रार्थना करूँगी कि आप भक्ति के मार्ग की व्याख्या करें, जो सभी दार्शनिक प्रणालियों का परम लक्ष्य है।