श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 27: प्रकृति का ज्ञान » श्लोक 6 |
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| | श्लोक 3.27.6  | |  | | यमादिभिर्योगपथैरभ्यसन्श्रद्धयान्वित: ।
मयि भावेन सत्येन मत्कथाश्रवणेन च ॥ ६ ॥ | | अनुवाद | | मनुष्य को योग पद्धति की संयम आदि विधियों के अभ्यास से श्रद्धालु बनना चाहिए, और मेरे भजन और कीर्तन को सुनकर शुद्ध भक्ति के स्तर तक पहुँचना चाहिए। | |
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