भगवान कपिल बोले : इंद्रियाँ देवताओं का प्रतीक हैं और उनका स्वभाविक गुण वैदिक आज्ञाओं के अनुसार काम करना है। जैसे इंद्रियाँ देवताओं की प्रतीक हैं वैसे ही मन भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व का प्रतिनिधि है। मन का प्राकृतिक कर्तव्य सेवा करना है। जब मन की यह सेवा भावना भगवान की भक्ति में बिना किसी उद्देश्य से लगी रहती है तो वो मुक्ति से भी श्रेष्ठ है।