श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 25: भक्तियोग की महिमा  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  3.25.14 
 
 
तमिमं ते प्रवक्ष्यामि यमवोचं पुरानघे ।
ऋषीणां श्रोतुकामानां योगं सर्वाङ्गनैपुणम् ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे परम पवित्र माँ, अब मैं तुम्हें वो प्राचीन योग पद्धति समझाऊँगा, जिसे मैंने पहले महान ऋषियों को समझाया था। यही सब प्रकार से उपयोगी और व्यावहारिक है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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