वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 25: भक्तियोग की महिमा
»
श्लोक 14
श्लोक
3.25.14
तमिमं ते प्रवक्ष्यामि यमवोचं पुरानघे ।
ऋषीणां श्रोतुकामानां योगं सर्वाङ्गनैपुणम् ॥ १४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे परम पवित्र माँ, अब मैं तुम्हें वो प्राचीन योग पद्धति समझाऊँगा, जिसे मैंने पहले महान ऋषियों को समझाया था। यही सब प्रकार से उपयोगी और व्यावहारिक है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.