तावत्प्रसन्नो भगवान् पुष्कराक्ष: कृते युगे ।
दर्शयामास तं क्षत्त: शाब्दं ब्रह्म दधद्वपु: ॥ ८ ॥
अनुवाद
तब सतयुग में कमल-नयनों वाले परम पुरुषोत्तम भगवान ने प्रसन्न होकर कर्दम मुनि को अपने दिव्य रूप के दर्शन कराए, जिसे केवल वेदों के माध्यम से ही समझा जा सकता है।