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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद
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श्लोक 37
श्लोक
3.21.37
तस्मिन् सुधन्वन्नहनि भगवान् यत्समादिशत् ।
उपायादाश्रमपदं मुने: शान्तव्रतस्य तत् ॥ ३७ ॥
अनुवाद
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हे विदुर, वे मुनि के आश्रम में पहुँचे, जिन्होंने भगवान द्वारा पूर्व में बताए गए दिन ही अपनी तपस्या का व्रत पूरा किया था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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