श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  3.21.34 
 
 
निरीक्षतस्तस्य ययावशेष-
सिद्धेश्वराभिष्टुतसिद्धमार्ग: ।
आकर्णयन् पत्ररथेन्द्रपक्षै-
रुच्चारितं स्तोममुदीर्णसाम ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  देखते-देखते भगवान उस मार्ग से चले गए जो वैकुण्ठ की ओर जाता है और जिसकी प्रशंसा महान मुक्त आत्माएँ करती हैं। जैसे ही गरुड़ फड़फड़ाते हुए अपने पंखों से सामवेद के मंत्रों की ध्वनि उठा रहा था, मुनि खड़े हुए सुनते रहे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.