कर्दम ऋषि ने कहा—हे अति पूजनीय प्रभु, आप जो सम्पूर्ण अस्तित्वों के भण्डार हैं, मैं आपका साक्षात्कार पाकर अपने दृष्टि-यज्ञ को पूर्णता तक पहुँचा सका हूँ। महान् योगीजन जन्मों-जन्मों तक गहन ध्यान के द्वारा आपके दिव्य स्वरूप के दर्शन की आकांक्षा करते रहते हैं।