आन्वीक्षिकी त्रयी वार्ता दण्डनीतिस्तथैव च ।
एवं व्याहृतयश्वासन् प्रणवो ह्यस्य दहृत: ॥ ४४ ॥
अनुवाद
तर्कशास्त्र विज्ञान, जीवन का वैदिक उद्देश्य, कानून एवं व्यवस्था, आचार संहिता और भूः, भुवः, स्वः जैसे प्रसिद्ध मंत्र, सभी ब्रह्मा के मुख से प्रकट हुए और उनके हृदय से प्रणव ॐकार प्रकट हुआ।