श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 12: कुमारों तथा अन्यों की सृष्टि  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  3.12.39 
 
 
इतिहासपुराणानि पञ्चमं वेदमीश्वर: ।
सर्वेभ्य एव वक्त्रेभ्य: ससृजे सर्वदर्शन: ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  तब उन्होंने अपने सारे मुखों से पांचवें वेद—पुराणों और इतिहासों—की रचना की, क्योंकि वे सभी अतीत, वर्तमान और भविष्य को देख सकते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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