श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 12: कुमारों तथा अन्यों की सृष्टि  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.12.38 
 
 
आयुर्वेदं धनुर्वेदं गान्धर्वं वेदमात्मन: ।
स्थापत्यं चासृजद् वेदं क्रमात्पूर्वादिभिर्मुखै: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  उन्होंने वेदों से ओषधि विज्ञान, सैन्य विज्ञान, संगीत कला और स्थापत्य विज्ञान की भी रचना की। ये सभी सामने वाले मुख से प्रारम्भ होकर क्रमश: प्रकट हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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