श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 12: कुमारों तथा अन्यों की सृष्टि  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.12.37 
 
 
मैत्रेय उवाच
ऋग्यजु:सामाथर्वाख्यान् वेदान् पूर्वादिभिर्मुखै: ।
शास्त्रमिज्यां स्तुतिस्तोमं प्रायश्चित्तं व्यधात्क्रमात् ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय ने कहा: ब्रह्मा के सामने वाले मुख से सबसे पहले चारों वेद- ऋक, यजु:, साम और अथर्व प्रकट हुए। फिर उसके बाद वे वैदिक मंत्रों का उच्चारण करना, पौरोहित्य कर्म करना, पाठ की विषयवस्तु और दिव्य कार्यकलाप एक-एक करके स्थापित हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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