श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 12: कुमारों तथा अन्यों की सृष्टि  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.12.24 
 
 
पुलहो नाभितो जज्ञे पुलस्त्य: कर्णयोऋर्षि: ।
अङ्गिरा मुखतोऽक्ष्णोऽत्रिर्मरीचिर्मनसोऽभवत् ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  पुलस्त्य की उत्पत्ति ब्रह्मा के कान से, अंगिरा की मुँह से, अत्रि की आँखों से, मरीचि की मन से तथा पुलह की नाभि से हुई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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