श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 11: परमाणु से काल की गणना  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.11.37 
 
 
अयं तु कथित: कल्पो द्वितीयस्यापि भारत ।
वाराह इति विख्यातो यत्रासीच्छूकरो हरि: ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे भरतवंशी, ब्रह्मा के जीवन के आधे भाग के बाद पहला युग वाराह कल्प कहलाता है, क्योंकि इस युग में सर्वोच्च भगवान सूकर के अवतार के रूप में प्रकट हुए थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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