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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 11: परमाणु से काल की गणना
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श्लोक 32
श्लोक
3.11.32
अन्त: स तस्मिन् सलिल आस्तेऽनन्तासनो हरि: ।
योगनिद्रानिमीलाक्ष: स्तूयमानो जनालयै: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
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परमेश्वर भगवान् हरि जल में अनंत के आसन पर आंखें बंद करके लेटे हुए हैं और जनलोक के वासी हाथ जोड़कर भगवान् की महिमामंडित स्तुतियाँ करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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