श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 11: परमाणु से काल की गणना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.11.30 
 
 
त्रिलोक्यां दह्यमानायां शक्त्या सङ्कर्षणाग्निना ।
यान्त्यूष्मणा महर्लोकाज्जनं भृग्वादयोऽर्दिता: ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  संकर्षण के मुंह से निकलने वाली अग्नि से प्रलय हो जाता है। प्रचंड अग्नि की ज्वाला से तीनों लोकों में तबाही मच जाती है। इससे व्याकुल होकर भृगु जैसे महर्षि और महर्लोक के बाकी लोग जनलोक में चले जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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