श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 11: परमाणु से काल की गणना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.11.24 
 
 
स्वं स्वं कालं मनुर्भुङ्क्ते साधिकां ह्येकसप्ततिम् ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रत्येक मनु के जीवनकाल की अवधि उन चतुर्युगों के कुल योग से अधिक होती है, जो चतुर्युगों के इकहत्तर समुच्चय में होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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