अत: परं प्रवक्ष्यामि वंशान्मन्वन्तराणि च ।
एवं रज:प्लुत: स्रष्टा कल्पादिष्वात्मभूर्हरि: ।
सृजत्यमोघसङ्कल्प आत्मैवात्मानमात्मना ॥ ३० ॥
अनुवाद
अब मैं मनुओं के वंशजों के बारे में बताऊंगा। निर्माता ब्रह्मा जो कि भगवान विष्णु के रजोगुणावतार हैं, हर हजार साल में भगवान की शक्ति से अटूट इच्छाओं के साथ ब्रह्मांड की रचना करते हैं।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध तीन के अंतर्गत दसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।