षडिमे प्राकृता: सर्गा वैकृतानपि मे शृणु ।
रजोभाजो भगवतो लीलेयं हरिमेधस: ॥ १८ ॥
अनुवाद
उपर्युक्त विषय में भगवान ने बाहर की शक्ति से जो रचना की, वो स्वाभाविक ही थी। अब मुझसे उन ब्रह्मा जी के द्वारा की गई रचनाओं के बारे में सुनो जो रजोगुण के अवतार हैं और सृष्टि के मामले में जिनका मस्तिष्क भगवान के समान है।