श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 10: सृष्टि के विभाग » श्लोक 16 |
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| | श्लोक 3.10.16  | |  | | भूतसर्गस्तृतीयस्तु तन्मात्रो द्रव्यशक्तिमान् ।
चतुर्थ ऐन्द्रिय: सर्गो यस्तु ज्ञानक्रियात्मक: ॥ १६ ॥ | | अनुवाद | | इंद्रियों के विषयों का निर्माण तीसरे सृजन में होता है और इनसे तत्त्व उत्पन्न होते हैं। चौथा सृजन ज्ञान और कार्य-क्षमता (क्रियाशक्ति) का सृजन है। | |
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