श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 1: विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.1.37 
 
 
किं वा कृताघेष्वघमत्यमर्षी
भीमोऽहिवद्दीर्घतमं व्यमुञ्चत् ।
यस्याङ्‌घ्रि पातं रणभूर्न सेहे
मार्गं गदायाश्चरतो विचित्रम् ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  [कृपया मुझे बताएँ] क्या विषैले साँप तुल्य और अजेय भीम ने पापियों पर अपना लंबे समय से संजोया हुआ क्रोध उतारा है? जब वह युद्ध के मैदान में आता तो उसकी गदा की चाल को सहन नहीं करती थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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