श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 1: विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  3.1.36 
 
 
अपि स्वदोर्भ्यां विजयाच्युताभ्यां
धर्मेण धर्म: परिपाति सेतुम् ।
दुर्योधनोऽतप्यत यत्सभायां
साम्राज्यलक्ष्म्या विजयानुवृत्त्या ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  अब मैं पूछना चाहूँगा कि महाराज युधिष्ठिर धार्मिक सिद्धान्तों एवं धर्मपथ के प्रति सम्मान भाव रखते हुए राज्य का संचालन तो कर ही रहे हैं? पहले तो दुर्योधन इस बात से जलता था, क्योंकि युधिष्ठिर कृष्ण एवं अर्जुन रूपी भुजाओं द्वारा ऐसे रक्षित रहते थे जैसे वे उनकी अपनी ही भुजाएँ हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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