अब मैं पूछना चाहूँगा कि महाराज युधिष्ठिर धार्मिक सिद्धान्तों एवं धर्मपथ के प्रति सम्मान भाव रखते हुए राज्य का संचालन तो कर ही रहे हैं? पहले तो दुर्योधन इस बात से जलता था, क्योंकि युधिष्ठिर कृष्ण एवं अर्जुन रूपी भुजाओं द्वारा ऐसे रक्षित रहते थे जैसे वे उनकी अपनी ही भुजाएँ हों।