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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 1: विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न
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श्लोक 33
श्लोक
3.1.33
कच्चिच्छिवं देवकभोजपुत्र्या
विष्णुप्रजाया इव देवमातु: ।
या वै स्वगर्भेण दधार देवं
त्रयी यथा यज्ञवितानमर्थम् ॥ ३३ ॥
अनुवाद
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जिस प्रकार वेद यज्ञ कार्यों के भंडार हैं, उसी प्रकार राजा देवक-भोज की बेटी ने भी देवताओं की माँ के समान भगवान को अपने गर्भ में धारण किया है। क्या वो (देवकी) स्वस्थ है?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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