श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 1: विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.1.26 
 
 
कच्चित्पुराणौ पुरुषौ स्वनाभ्य-
पाद्मानुवृत्त्येह किलावतीर्णौ ।
आसात उर्व्या: कुशलं विधाय
कृतक्षणौ कुशलं शूरगेहे ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  [कृपया मुझे बताएँ] कि (भगवान के नाभि से निकले कमल से उत्पन्न) ब्रह्मा के अनुरोध पर अवतार लेने वाले वो दोनों मूल भगवान, जिन्होंने सभी व्यक्तियों को ऊपर उठाकर संपन्नता बढ़ाई है, क्या शूरसेन के घर में कुशलपूर्वक निवास कर रहे हैं?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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