वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 1: विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न
»
श्लोक 24
श्लोक
3.1.24
ततस्त्वतिव्रज्य सुराष्ट्रमृद्धं
सौवीरमत्स्यान् कुरुजाङ्गलांश्च ।
कालेन तावद्यमुनामुपेत्य
तत्रोद्धवं भागवतं ददर्श ॥ २४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
इसके बाद वह सूरत, सौवीर और मत्स्य जैसे अत्यंत धनाढ्य प्रांतों से होकर और कुरुजांगल नाम से प्रसिद्ध पश्चिमी भारत से होकर गुजरा। अंततः वह यमुना के तट पर पहुँच गया, जहाँ उसकी भेंट भगवान कृष्ण के महान भक्त उद्धव से हुई।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.