जब उन्होंने वह ध्वनि सुनी तो अपने चारों ओर उसको बोलने वाले को ढूँढने की कोशिश की। किन्तु, जब वह अपने अलावा किसी और को नहीं देख पाया, तो उसने कमल के आसन पर दृढ़तापूर्वक बैठकर तपस्या करने में ही ध्यान लगाना श्रेष्ठ समझा, जैसा कि उसे निर्देश दिया गया था।