श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  2.9.45 
 
 
नारद: प्राह मुनये सरस्वत्यास्तटे नृप ।
ध्यायते ब्रह्म परमं व्यासायामिततेजसे ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन, उसी क्रम में महामुनि नारद ने अनंत शक्तिधारी व्यासदेव को श्रीमद्भागवत का ज्ञान प्रदान किया। व्यासदेव उस समय सरस्वती नदी के तट पर स्थित होकर परम सत्य, पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् का ध्यान कर रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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