श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  2.9.43 
 
 
तुष्टं निशाम्य पितरं लोकानां प्रपितामहम् ।
देवर्षि: परिपप्रच्छ भवान् यन्मानुपृच्छति ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  जब नारद ने देखा कि समस्त ब्रह्माण्ड के प्रपितामह ब्रह्माजी मुझ पर प्रसन्न हैं, तो महर्षि नारद ने अपने पिता से विस्तार में यह भी पूछा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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