श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  2.9.40 
 
 
प्रजापतिर्धर्मपतिरेकदा नियमान् यमान् ।
भद्रं प्रजानामन्विच्छन्नातिष्ठत् स्वार्थकाम्यया ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  एक समय की बात है, जीवों के पूर्वज एवं धर्म के जनक भगवान ब्रह्मा ने समस्त जीवों के कल्याण को ही अपना स्वार्थ मानते हुए, नियमानुसार यम और नियमों को धारण किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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