श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  2.9.39 
 
 
अन्तर्हितेन्द्रियार्थाय हरये विहिताञ्जलि: ।
सर्वभूतमयो विश्वं ससर्जेदं स पूर्ववत् ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  भक्ति योग साधकों की इन्द्रियों को आध्यात्मिक सुख देने वाले परमपुरुष भगवान् हरि के अन्तर्धान हो जाने पर ब्रह्माजी हाथ जोड़े हुए पहले जैसी समस्त जीवों से पूर्ण ब्रह्मांड का दोबारा सृजन करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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