श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  2.9.38 
 
 
श्रीशुक उवाच
सम्प्रदिश्यैवमजनो जनानां परमेष्ठिनम् ।
पश्यतस्तस्य तद् रूपमात्मनो न्यरुणद्धरि: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने महाराज परीक्षित को बताया कि जीवात्माओं को देखने वाले नेता ब्रह्मा को अपने दिव्य रूप में पूर्णता दिखाने के बाद भगवान हरि किसी का ध्यान न जा पाए, इस प्रकार नहीं दिखे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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