श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  2.9.37 
 
 
एतन्मतं समातिष्ठ परमेण समाधिना ।
भवान् कल्पविकल्पेषु न विमुह्यति कर्हिचित् ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  हे ब्रह्मा, अपनी बुद्धि को मजबूत कर के इस निर्णय का अनुसरण करो। और तुम्हें ना तो सृष्टि के आंशिक विनाश के समय, ना ही उसकी पूर्ण समाप्ति के समय कोई अहंकार विचलित कर पाएगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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