वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति
»
अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर
»
श्लोक 37
श्लोक
2.9.37
एतन्मतं समातिष्ठ परमेण समाधिना ।
भवान् कल्पविकल्पेषु न विमुह्यति कर्हिचित् ॥ ३७ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे ब्रह्मा, अपनी बुद्धि को मजबूत कर के इस निर्णय का अनुसरण करो। और तुम्हें ना तो सृष्टि के आंशिक विनाश के समय, ना ही उसकी पूर्ण समाप्ति के समय कोई अहंकार विचलित कर पाएगा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.