श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  2.9.36 
 
 
एतावदेव जिज्ञास्यं तत्त्वजिज्ञासुनात्मन: ।
अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत् स्यात् सर्वत्र सर्वदा ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  जिस व्यक्ति को भगवान की खोज है, उसे सभी परिस्थितियों में, हर स्थान और समय पर, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रूपों में खोज करनी चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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