श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  2.9.35 
 
 
यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चावचेष्वनु ।
प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेष्वहम् ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे ब्रह्मा, यह जान लो कि ब्रह्माण्ड के तमाम तत्व ब्रह्माण्ड में प्रवेश करते हुए भी प्रवेश नहीं करते। इसी प्रकार मैं स्वयं भी हर सृष्ट चीज में विद्यमान रहते हुए भी हर चीज से अलग रहता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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