यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चावचेष्वनु ।
प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेष्वहम् ॥ ३५ ॥
अनुवाद
हे ब्रह्मा, यह जान लो कि ब्रह्माण्ड के तमाम तत्व ब्रह्माण्ड में प्रवेश करते हुए भी प्रवेश नहीं करते। इसी प्रकार मैं स्वयं भी हर सृष्ट चीज में विद्यमान रहते हुए भी हर चीज से अलग रहता हूँ।