श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  2.9.31 
 
 
श्रीभगवानुवाच
ज्ञानं परमगुह्यं मे यद् विज्ञानसमन्वितम् ।
सरहस्यं तदङ्गं च गृहाण गदितं मया ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने फ़रमाया- शास्त्रों में वर्णित मुझसे जुड़े ज्ञान को अत्यंत गोपनीय माना गया है और इसे भक्ति सेवा के साथ ही हासिल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के लिए ज़रूरी चीजों को मैं बता चुका हूँ। तुम इसे सावधानी से ग्रहण करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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